वक़्त नूर को बहनूर कर देता है
थोड़े से जखम को नासूर कर देता है
वरना कोन चाहता है तुम जेसे दोस्तो से दूर रहना
वक़्त ही तो इंसान को मजबूर कर देता
थोड़े से जखम को नासूर कर देता है
वरना कोन चाहता है तुम जेसे दोस्तो से दूर रहना
वक़्त ही तो इंसान को मजबूर कर देता
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